गली का गुरु: जिसने शिक्षा को सड़कों तक पहुँचाया
विकास एक छोटे से किराना दुकान चलाता था। रोज सुबह जब वह दुकान खोलने आता, तो उसे पार्क में काम करने वाले बच्चे दिखाई देते - चाय की दुकान पर, ढाबे पर, कचरा बीनते हुए। एक दिन, उसने एक बच्चे से पूछा, "स्कूल क्यों नहीं जाते?"
बच्चे ने जवाब दिया, "पढ़ाई के लिए पैसे कहाँ से लाएँ? किताबें, यूनिफॉर्म, फीस - यह सब तो अमीरों के लिए है।" यह बात विकास के दिल में छेद कर गई। उस रात वह सो नहीं पाया।
"क्या शिक्षा सच में सिर्फ़ उन्हीं के लिए है जो उसे खरीद सकते हैं? क्या गरीब बच्चों के सपने देखने का कोई अधिकार नहीं?"
अगले दिन, विकास ने एक बोल्ड फैसला लिया। उसने अपनी दुकान के सामने फुटपाथ पर एक बोर्ड लगाया: "मुफ्त पढ़ाई - हर बच्चे का अधिकार"। उसने कुछ पुरानी किताबें इकट्ठा कीं और इंतज़ार करने लगा।
पहले दिन सिर्फ़ दो बच्चे आए। विकास ने उन्हें पढ़ाना शुरू किया। दूसरे दिन चार बच्चे आए। एक हफ्ते में उसकी क्लास में पंद्रह बच्चे हो गए—
"मैंने देखा कि ये बच्चे सिर्फ़ पढ़ाई नहीं चाहते, वे किसी की तरफ देखना चाहते हैं जो उन पर विश्वास करे। वे सिर्फ़ अक्षर नहीं सीख रहे थे, वे स्वाभिमान सीख रहे थे।"
इस तरह "गली का गुरु" का जन्म हुआ - वह शिक्षक जिसने सड़क को क्लासरूम बना दिया और शिक्षा को हर बच्चे की पहुँच में ला दिया।
गुरु जी का क्लासरूम सेटअप
समय: शाम 5:00 से 7:00 बजे तक
स्थान: फुटपाथ पर, विकास की दुकान के सामने
सामग्री: पुरानी किताबें, स्लेट, चॉक, दान में मिली कॉपियाँ
फीस: केवल एक चीज - सीखने की ललक
विकास की शिक्षण विधि अनोखी थी। वह गणित सिखाने के लिए सब्जियों का उपयोग करता, विज्ञान सिखाने के लिए आसपास की चीजों को उदाहरण बनाता। उसका मानना था:
"ज्ञान किताबों में नहीं, हमारे आसपास बिखरा पड़ा है। बस उसे देखने की आँख चाहिए।"
गली के गुरु की शिक्षण विधियाँ:
- जीवन से जुड़ाव: रोजमर्रा की चीजों से पढ़ाना
- खेल-खेल में सीख: पढ़ाई को रोचक बनाना
- व्यावहारिक ज्ञान: किताबी ज्ञान को जीवन से जोड़ना
- समानता का सम्मान: हर बच्चे को बराबर महत्व देना
- सहपाठी शिक्षण: आगे के बच्चों से पीछे के बच्चों को पढ़वाना
धीरे-धीरे, विकास के इस नेक काम की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई। स्थानीय युवा, गृहिणियाँ, और सेवानिवृत्त शिक्षक भी उसकी मदद के लिए आगे आए। उन्होंने मिलकर "गली का स्कूल" बना लिया।
आज विकास का "गली का स्कूल" एक आंदोलन बन चुका है। शहर के अलग-अलग इलाकों में 15 ऐसे स्कूल चल रहे हैं, जहाँ 500 से ज्यादा बच्चे मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विकास का सपना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
"लोग कहते हैं मैं बच्चों को पढ़ा रहा हूँ, लेकिन सच तो यह है कि बच्चे मुझे जीवन का असली मतलब सिखा रहे हैं। हर बच्चा जो पढ़ना सीखता है, वह मेरी जीत है।"
सीख:
शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे हम दुनिया बदल सकते हैं, और यह हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। विकास की कहानी हमें सिखाती है कि बदलाव लाने के लिए बड़े संसाधनों की नहीं, बड़े दिल की जरूरत होती है। एक व्यक्ति का संकल्प पूरे समाज की दिशा बदल सकता है। शिक्षा की मशाल जलाने के लिए डिग्री नहीं, इच्छाशक्ति चाहिए।
अगले भाग की झलक:
"हरा योद्धा: जिसने कंक्रीट के जंगल में हरियाली बोई" — यह कहानी है उस युवती की जिसने शहर की बंजर जमीन को हरे-भरे उद्यानों में बदल दिया। एक ऐसी पर्यावरण योद्धा जिसने अपने शहर को फिर से हरा-भरा कर दिया।
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